Love shayari || Inkaar Jaisi Lazzat Ikraar Mein Kahan
Love shayari || Inkaar Jaisi Lazzat Ikraar Mein Kahan
''Inkaar Jaisi Lazzat Ikraar Mein Kahan
Barhta Raha Ishq Ghalib Uski Nahi-Nahi Se''
Love shayari || Inkaar Jaisi Lazzat Ikraar Mein Kahan
''इन्कार जैसी लज्जत इक़रार में कहाँ
बढ़ता रहा इश्क ग़ालिब उसकी नहीं-नहीं से।''
इन्कार में जो मज़ा है, वो इक़रार में कहाँ
उसकी झूठी नाराज़गी भी प्यार की निशानी है।
बढ़ता ही जा रहा है ये इश्क़ हर पल
उसकी हां और ना की अदा भी बेमिसाल है।
इन्कार में छुपी होती है एक मीठी चाहत
दिल को बहलाने की ये कैसी राहत।
उसके ना कहने से इश्क़ और बढ़ जाता है
शायद यही है मोहब्बत की हकीकत।
उसकी नहीं-नहीं में भी इक़रार छुपा है
दिल की हर धड़कन में उसका ही नशा है।
इश्क़ की इस अदा को कैसे समझाएं
वो जो कहता है ना, उसमें भी हां का पता है।
इश्क़ का ये सिलसिला भी अजीब है
इन्कार में भी इक़रार का नसीब है।
उसकी ना-ना में जो अदा छुपी है
उससे ही तो मोहब्बत की तक़दीर लिखी है।
इन्कार में भी इक़रार का एहसास होता है
दिल को बहलाने का यही तो खास होता है।
बढ़ता ही जा रहा है इश्क़ उसकी नहीं-नहीं से
शायद यही दिल को समझाने का प्रयास होता है।
उसके इन्कार में भी इक़रार की मिठास है
इश्क़ की ये राहें कुछ खास है।
उसकी ना-ना में भी दिल को सुकून है
शायद यही मोहब्बत की पहली पहचान है।
इन्कार में जो दिलचस्पी है, वो इक़रार में नहीं
उसकी नहीं-नहीं में भी एक प्यार छुपा है कहीं।
इश्क़ का ये खेल भी बड़ा अजीब है
ना कहकर भी वो कह जाता है कि हां, यही है सही।
उसकी ना में भी हां का सुरूर है
इश्क़ की इस राह में एक अनोखा गुरूर है।
बढ़ता ही जा रहा है प्यार उसकी नहीं-नहीं से
दिल की इस हालत को समझना बड़ा मुश्किल है।
इन्कार में भी इक़रार की झलक होती है
दिल की हर धड़कन में उसका ही नाम होता है।
बढ़ता ही जा रहा है इश्क़ उसकी ना-ना से
शायद यही मोहब्बत की खूबसूरती होती है।
उसके इन्कार में भी इक़रार का राज़ है
इश्क़ में उसके हर लफ्ज़ का अलग ही अंदाज़ है।
ना कहकर भी वो दिल से कहता है हां
इस मोहब्बत में उसकी नहीं-नहीं का भी अलग ही मिज़ाज है।