Love Shayari || Kitaab Meri Panne Mere Aur Soch Bhi Meri
Love Shayari || Kitaab Meri Panne Mere Aur Soch Bhi Meri
''Kitaab Meri Panne Mere Aur Soch Bhi Meri
Phir Maine Jo Likhe Woh Khayal Kyun Tere''
Love Shayari || Kitaab Meri Panne Mere Aur Soch Bhi Meri
''किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी
फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे।''
हर पन्ने पर तेरी तस्वीर सी उभर आई,
लिखने चला था खुद को, पर तुझसे कहानी बन गई।
किताब तो मेरी थी, पर हर लफ्ज़ में तू ही समा गई,
सोचा था कुछ और, पर ख्यालों में तू ही आ गई।
दिल की किताब खोलने चला था,
पर हर सफा तेरे नाम कर दिया।
ख्याल तो अपने थे, पर लफ्ज़ तेरे बन गए,
अब ये किताब मेरी नहीं, तेरी हो गई।
क़लम से लिखी थी अपनी दास्तां,
पर हर पन्ने पर तेरा ही नाम आ गया।
सोच मेरी थी, पर लफ्ज़ तेरे बन गए,
इस किताब में अब सिर्फ़ तू ही तू समा गया।
लिखने चला था अपनी कहानी,
पर हर पन्ने पर तेरा चेहरा बन गया।
ख्याल मेरे थे, पर तेरे नाम हो गए,
अब ये किताब तेरे इश्क़ की निशानी बन गई।
पन्ने तो पलट रहा था मैं,
पर हर पन्ने पर तेरा ही अक्स था।
लफ्ज़ भी मेरे थे और सोच भी मेरी,
पर तुझसे ही मेरी हर बात का जिक्र था।
लिखने बैठा था अपने ख्यालों को,
पर हर ख्याल तुझसे जुड़ गया।
किताब मेरी थी, पर हर पन्ना तेरा हो गया,
मेरे लफ्ज़ों में तू ही कहीं खो गया।
किताब में जो लिखना चाहा,
वो सब तुझसे ही जुड़ता गया।
लफ्ज़ भी मेरे, पन्ने भी मेरे,
पर हर कहानी में तेरा अक्स बनता गया।
सोचा था अपनी दास्तां लिखूंगा,
पर तेरी यादें हर पन्ने पर छा गईं।
लफ्ज़ तो मेरे थे, पर तेरा ही नाम आया,
अब इस किताब में सिर्फ तेरा ही बसेरा पाया।
क़लम से जो लिखे मैंने ख्याल,
हर ख्याल तेरा आईना बन गया।
किताब तो मेरी थी, पर पन्ने तेरे हो गए,
मेरे दिल की बातें तुझसे कहने लगी।
लिखने की कोशिश में जब भी क़लम उठाई,
तेरा नाम ही हर पन्ने पर लिख गया।
किताब तो मेरी थी, पर हर लफ्ज़ तुझसे जुड़ गया,
अब ये ख्याल भी तेरे हो गए, और मैं खो गया।