सच्चाई हमेशा खामोश रहने वाले इंसान के अंदर ही मिलती है, झूठ बोलने वाले तो हमेशा शोर मचाते रहते हैं…
"सच्चाई हमेशा खामोश
रहने वाले इंसान के अंदर ही मिलती है
झूठ बोलने वाले
तो हमेशा शोर मचाते रहते हैं"
सच्चाई हमेशा उस खामोश इंसान
के भीतर होती है
जो झूठ बोलने वाले हमेशा शोर
मचाते रहते हैं।
सच्चाई की आवाज़ खामोशी
में छुपी होती है
झूठ बोलने वाले तो बस शोर
मचाते रहते हैं।
सच्चाई वहीं मिलती है
जहां खामोशी होती है
झूठ बोलने वाले
तो बस हंगामा करते रहते हैं।
सच्चाई खामोश इंसान के दिल
में बसी रहती है
जबकि झूठ बोलने वाले हमेशा
शोर मचाते हैं।
सच्चाई का पता खामोशियों
में लगता है
झूठ की आवाज़ तो सिर्फ
शोर होती है।
सच्चाई का घर होता है
खामोशी के दिल में
झूठ बोलने वाले बस शोर
मचाते हैं।
सच्चाई चुप्पी के भीतर मिलती है
जबकि झूठ बोलने
वाले शोर से दुनिया हिला देते हैं।
सच्चाई की पहचान खामोशी से होती है
झूठ की पहचान तो शोर से होती है।
सच्चाई की आवाज़ चुप्पी में छुपी रहती है
झूठ तो हमेशा शोर मचाता है।
सच्चाई उस खामोश इंसान में बसी होती है
झूठ बोलने वाले तो बस शोर करते रहते हैं।