कुछ लोगों की फितरत किराए के मकान के जैसी होती है कितना भी सजाओ अपने नही होते
कुछ लोगों की फितरत किराए के
मकान के जैसी होती है
कितना भी सजाओ अपने नही होते
कुछ लोगों की फितरत
किराए के मकान की तरह होती है,
जितना भी सजाओ
अपने नहीं होते।
जैसे किराए का मकान कभी
अपना नहीं होता,
वैसे ही कुछ लोगों की फितरत होती है
—खुद से बेगाना।
कुछ लोगों की आदतें ऐसे होती हैं
जैसे किराए के मकान,
खूबसूरती से सजा लो,
फिर भी अपना नहीं बनाते।
किराए के मकान की तरह कुछ लोगों
की फितरत होती है,
जितना भी चाहो सजाओ,
अपने नहीं बनते।
जितना भी मन लगाकर सजाओ,
कुछ लोग हमेशा किराए के मकान जैसे रहते हैं,
सिर्फ इस्तेमाल के लिए होते हैं,
कभी अपने नहीं बनते।
कुछ लोग
किराए के मकान की तरह होते हैं,
जितना भी सजाओ,
उनका अपना होना मुश्किल होता है।
जैसे किराए का मकान कभी अपना
नहीं हो सकता,
वैसे ही कुछ लोगों की फितरत होती है
—सजाने से भी अपने नहीं बनते।
कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता है
जैसे किराए का मकान,
खूबसूरत सजावट से भी दिल
से जुड़ाव नहीं होता।
किराए के मकान
की तरह कुछ लोगों का साथ होता है,
आप जितना भी सजाओ,
वो कभी आपके नहीं होते।
जैसे किराए के मकान पर कितनी
भी सजावट कर लो,
कुछ लोगों की फितरत ऐसी होती है
असली अपनापन नहीं दिखाते।