Insaniyat dil me hoti hai haisiyat me nahi
"इंसानियत दिल में होती है
हैसियत में नहीं
उपरवाला कर्म देखता है
वसीयत को नहीं
सुप्रभात"
"इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नहीं,
उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत को नहीं,
सच्ची अच्छाई तो दिल से आती है,
और यही असली मूल्य है। सुप्रभात!"
"इंसानियत का मापदंड दिल में छुपा होता है,
हैसियत और धन में नहीं,
उपरवाला कर्म को तौलता है,
वसीयत की जाँच नहीं करता। सुप्रभात!"
"इंसानियत की पहचान दिल से होती है,
हैसियत और संपत्ति से नहीं,
उपरवाला कर्मों को देखता है,
वसीयत को नहीं समझता। सुप्रभात!"
"दिल की इंसानियत हैसियत से बड़ी होती है,
उपरवाला कर्मों को देखता है,
वसीयत और धन की नहीं,
असली मूल्य दिल की सच्चाई में है। सुप्रभात!"
"इंसानियत का आधार दिल में है,
हैसियत से नहीं,
उपरवाला सिर्फ कर्मों को मापता है,
वसीयत की चिंता नहीं करता। सुप्रभात!"
"इंसानियत की पहचान दिल से होती है,
ना कि धन और हैसियत से,
उपरवाला कर्मों को देखता है,
वसीयत का कोई महत्व नहीं है। सुप्रभात!"
"दिल की इंसानियत हर चीज से ऊपर होती है,
हैसियत में नहीं,
उपरवाला सिर्फ कर्मों को तौलता है,
वसीयत और संपत्ति की नहीं। सुप्रभात!"
"इंसानियत का माप दिल से होता है,
हैसियत और धन से नहीं,
उपरवाला केवल कर्मों को देखता है,
वसीयत की नहीं परवाह करता। सुप्रभात!"
"दिल की इंसानियत हैसियत से बड़ी है,
उपरवाला कर्मों को मापता है,
वसीयत की बात नहीं करता,
सच्चाई दिल में ही बसती है। सुप्रभात!"
"इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नहीं,
उपरवाला कर्मों को तौलता है,
वसीयत से ज्यादा महत्वपूर्ण है,
दिल की सच्चाई। सुप्रभात!"