जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ, मैं बहुत मजबूत रिश्ते थे बहुत कमजोर लोगो से
जिंदगी पर यही मेरी कहानी है,
मजबूत रिश्ते थे, मगर कमजोर लोगों के साथ।
फिर भी हर मोड़ पर सबक मिला,
कहानी लिखी गई, दर्द से भरी रही।
जिंदगी की किताब में बस यही लिखा,
मजबूत रिश्ते थे, मगर कमजोर लोगों से जुड़ा।
हर इम्तिहान ने सिखाया ये सबक,
लोगों की कमजोरी से खुद को पहचाना।
जिंदगी की दास्तान यही कहती है,
मजबूत रिश्ते थे, मगर कमजोर लोगों की साथी थी।
हर एक दर्द ने दिया नया अहसास,
रिश्तों की ताकत और उनकी कमजोरी का पता चला।
जिंदगी की लकीरों में यही अंकित है,
मजबूत रिश्ते, मगर कमजोर लोगों की छांव में बिताए।
हर अनुभव ने खुद को खोजने की राह दिखाई,
मजबूती और कमजोरी की असली पहचान कराई।
जिंदगी पर यही मेरी लिखावट है,
मजबूत रिश्ते थे, लेकिन कमजोर लोगों के संग निभाए।
हर दिल के दर्द ने नई सीख दी,
रिश्तों की सच्चाई और उनकी सीमाएँ बताई।
जिंदगी की किताब में यही लेख है,
मजबूत रिश्ते थे, कमजोर लोगों के साथ बिताए।
हर एक एहसास ने दिल को छुआ,
मजबूती और कमजोरी की गहराई को उजागर किया।
जिंदगी पर यही लिखा जा सका,
मजबूत रिश्ते थे, लेकिन कमजोर लोगों की संगत से जुड़े।
हर पल ने खुद को नया रूप दिया,
रिश्तों की सच्चाई और उनकी परतें खुली।
जिंदगी के सफर पर यही सच्चाई है,
मजबूत रिश्ते, मगर कमजोर लोगों की संगत में बिताई।
हर मुश्किल ने सिखाया एक नया पाठ,
रिश्तों की ताकत और कमजोरी का असली अहसास किया।
जिंदगी की कहानियों में बस इतना ही लिखा,
मजबूत रिश्ते थे, कमजोर लोगों की संगत से जुड़े।
हर अनुभव ने खुद को खोजने में मदद की,
रिश्तों की सच्चाई और उनकी धुंधली तस्वीर साफ की।
जिंदगी पर यही एक सच दर्ज हुआ,
मजबूत रिश्ते थे, मगर कमजोर लोगों की संगत में।
हर दर्द ने खुद को सही मायने में समझाया,
रिश्तों की गहराई और उनकी असली पहचान को बताया।