लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम
लो आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद,
अब किसी से शिकवा, किसी से गिला नहीं।
उम्मीदों के धागे आज खुद ही काट दिए,
अब दिल को किसी सहारे की आदत नहीं।
जिससे भी जुड़ी थी उम्मीदें सारी,
आज उनसे भी कोई शिकायत नहीं।
अब खामोशी ही हमारी जुबान बनेगी,
किसी से कोई सवाल, कोई गिला नहीं।
उम्मीद का बोझ उतार दिया दिल से,
अब टूटने का कोई डर नहीं।
हमने सीख लिया खुद पर जीना,
अब किसी और से उम्मीद नहीं।
जिसने भी दिया दर्द, दिया ही सही,
अब उसके नाम कोई शिकवा नहीं।
उम्मीद छोड़ी तो सुकून मिला,
अब किसी से कोई शिकवा नहीं।
दिल ने आज खुद से वादा कर लिया,
अब किसी और से कोई गिला नहीं।
रिश्ता-ए-उम्मीद खत्म कर लिया हमने,
अब किसी से कोई हिसाब नहीं।
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