Sumitranandan Pant Quotes in Hindi || सुमित्रानंदन पंत के अनमोल विचार
सुमित्रानंदन पंत एक भारतीय कवि थे। वह हिंदी भाषा के सबसे प्रसिद्ध 20वीं सदी के कवियों में से एक थे और अपनी कविताओं में रूमानियत के लिए जाने जाते थे जो प्रकृति, लोगों और भीतर की सुंदरता से प्रेरित थे।
जन्म : 20 मई 1900, कौसानी
मृत्यु: 28 दिसंबर 1977, प्रयागराज
उल्लेखनीय पुरस्कार: पद्म भूषण (1961); ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968)
शिक्षा: हिंदी साहित्य
माता-पिता: गंगा दत्त पंत, सरस्वती देवी
बच्चे: सुमित्रा जोशी
1. हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्तिका सरलतम स्रोत है।
2. जीना अपने ही मैं एक महान कर्म है।
3. यदि स्वर्ग कही है पृथ्वी परतो वह नारी उर के भीतरमादकता जग में अगर कहींवह नारी अधरों में डूबकरयदि कहीं नरक है इस भूपर तो वह भी नारी के अंदर।
4. जीने का होसदुपयोग यह मनुष्य का धर्म है।
5. वियोगी होगा पहला कविआह से उपजा होगा गानउमड़ कर आंखों से चुपचाप वहींहोगी कविता अनजान
6. ज्ञानी बनकर मत नीरस उपदेश दीजिएलोक कर्म भाव सत्य प्रथम सत्कर्म कीजिए
7. वह सरल, विरलकाली रेखा तम के तागे सी जो हिल-डुलचलती लघु पद पल-पल मिल-जुल।
8. मैं मौन रहा,फिर सतह कहांबहती जाओ, बहती जाओबहती जीवन धारा मेंशायद कभी लौट आओ तुम।
9. मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोए थे, सोचा थापैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे।रुपयों का कलदार मधुर फसलें खनकेंगीऔर फूल फलकर मैं मोटा सेठ बनूंगा।पर बंजर धरती में एक ना अंकूर