84 Swami Vivekananda Quotes in Hindi
Quotes of Swami Vivekananda in Hindi
स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।Swami Vivekananda भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में Swami Vivekananda की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों” के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।Swami Vivekananda Quotes in Hindi
Swami Vivekananda Quotes
Best Collection of Swami Vivekananda Quotes
Swami Vivekananda Motivational Quotes in Hindi.
Swami Vivekananda Thoughts in Hindi
युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन
स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार जानिए
स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार
Swami Vivekananda Thoughts in Hindi
युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन
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स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार
[Vivekananda Quotes 1]
''उठो जागो और तब तक नहीं रुको
जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये''
[Vivekananda Quotes 2]
''उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो,
तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो,
धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो,
तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.''
[Vivekananda Quotes 3]
''ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं.
वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं
और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!''
[Vivekananda Quotes 4]
''जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ
अपना जल समुद्र में मिला देती हैं
उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग
चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है''
[Vivekananda Quotes 5]
''किसी की निंदा ना करें
अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं
तो ज़रुर बढाएं. अगर नहीं बढ़ा सकते
तो अपने हाथ जोड़िये
अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये
और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये''
[Vivekananda Quotes 6]
''कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है.
ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है
अगर कोई पाप है तो वो यही है
ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं''
[Vivekananda Quotes 7]
“सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए
पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़नी चाहिए।
[Vivekananda Quotes 8]
लगातार अच्छे विचार करते रहे
बुरे विचारों को मन से निकलने का यही एक उपाय हैं
[Vivekananda Quotes 9]
''अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे
तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा,
ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे
जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है''
[Vivekananda Quotes 10]
“दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव
में अपने आप के प्रति सच्चे रहना,
अपने आप पर विश्वास रखो हमेशा।
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 11]
एक शब्द में यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 12]
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है
जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 12]
''हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है
इसलिए इस बात का धयान रखिये
कि आप क्या सोचते हैं शब्द गौण हैं
विचार रहते हैं
वे दूर तक यात्रा करते हैं''
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 13]
''सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है
फिर भी हर एक सत्य ही होगा''
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 14]
''विश्व एक व्यायामशाला है
जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं''
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 15]
“बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु।
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 16]
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है.
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 17]
''ब्रह्माण्ड की सारी शक्तिया हमारे ही भीतर है।
वो तो हम ही है जो उस शक्तियों को
अँधेरा समझकर हात आखो पर रखकर रोने लगते है।''
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 18]
“नास्तिक वह है, जो अपने आप में विश्वास नहीं करता।
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 19]
''हम जितना अध्ययन करते हैं
उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है।
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 20]
''जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है
तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक
अवस्था में परिवर्तित हो जाता है.''
[Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद 21]
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं
अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते.
अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 22]
तुम फ़ुटबाल के जरिये स्वर्ग के ज्यादा
निकट होगे बजाये गीता का अध्ययन करने के.
निकट होगे बजाये गीता का अध्ययन करने के.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 23]
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 24]
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना
आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं
कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं.
आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं
कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं.
Swami Vivekananda Quotes.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 25]
स्वतंत्र होने का साहस करो. जहाँ तक तुम्हारे
विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो.
विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 26]
अपने जीवन में रिस्क लें यदि आप जीतते हैं,
तो आप आगे बढ़ सकते हैं! यदि आप हार जाते हैं,
तो आप दुसरो को गाइड कर सकते हैं!
तो आप आगे बढ़ सकते हैं! यदि आप हार जाते हैं,
तो आप दुसरो को गाइड कर सकते हैं!
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 27]
किसी चीज से डरो मत. तुम अद्भुत काम करोगे.
यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है.
यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 28]
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना.
स्वयं पर विश्वास करो.
स्वयं पर विश्वास करो.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 29]
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है,
यह अग्नि का दोष नहीं है.
यह अग्नि का दोष नहीं है.
[स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार 30]
बस वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 31]
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है,
संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है.
संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 32]
ना खोजो ना बचो, जो आता है ले लो.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 33]
शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से
जो कुछ भी कमजोर बनता है
उसे ज़हर की तरह त्याग दो.
जो कुछ भी कमजोर बनता है
उसे ज़हर की तरह त्याग दो.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 34]
एक समय में एक काम करो
और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा
उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा
उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 35]
कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो.
जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा,
पर उसके बारे में अभी मत सोचो.
जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा,
पर उसके बारे में अभी मत सोचो.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 36]
मनुष्य की सेवा करो. भगवान की सेवा करो.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 37]
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं.
जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 38]
आकांक्षा, अज्ञानता, और असमानता –
यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं.
यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 39]
जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो.
सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर
निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं.
सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर
निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं.
[Best Collection of Swami Vivekananda Quotes 40]
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है.
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 41]
धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की
सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं.
सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं.
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 42]
जिस क्षण आप डरते हैं, तब आप कुछ भी नहीं हैं।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 43]
पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है,
फिर उसका विरोध होता है,
और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
फिर उसका विरोध होता है,
और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 44]
किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या ना आये
– आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि
आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
– आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि
आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 45]
स्वतंत्र होने का साहस करो।
जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं
वहां तक जाने का साहस करो ,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो।
जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं
वहां तक जाने का साहस करो ,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 46]
प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत
है। वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है।
इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र
सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो।
है। वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है।
इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र
सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 47]
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के
प्रति सच्चे होना। स्वयं पर विश्वास करो।
प्रति सच्चे होना। स्वयं पर विश्वास करो।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 48]
सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है
: वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता ,
पूर्ण रूप से निस्स्वार्थ व्यक्ति , सबसे सफल है।
: वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता ,
पूर्ण रूप से निस्स्वार्थ व्यक्ति , सबसे सफल है।
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 49]
जो अग्नि हमें गर्मी देती है , हमें नष्ट
भी कर सकती है ; यह अग्नि का दोष नहीं है।
भी कर सकती है ; यह अग्नि का दोष नहीं है।
Swami Vivekananda Quotes.
[स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार 50]
'' शक्ति जीवन है निर्बलता मृत्यु है
विस्तार जीवन है संकुचन मृत्यु है
प्रेम जीवन है द्वेष मृत्यु है''
विस्तार जीवन है संकुचन मृत्यु है
प्रेम जीवन है द्वेष मृत्यु है''
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 51]
''हम जो बोते हैं वो काटते हैं।
हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं।
हवा बह रही है वो जहाज जिनके पाल खुले हैं
इससे टकराते हैं और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं
पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते।
क्या यह हवा की गलती है
हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं।''
हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं।
हवा बह रही है वो जहाज जिनके पाल खुले हैं
इससे टकराते हैं और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं
पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते।
क्या यह हवा की गलती है
हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं।''
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 52]
शारीरिक बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी आपको
कमजोर बनाता है उसे ज़हर की तरह त्याग दो।
कमजोर बनाता है उसे ज़हर की तरह त्याग दो।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 53]
एक समय में एक काम करो
और ऐसा करते समय अपनी पूरी
आत्मा उसमे डाल दो और बाकी
सब कुछ भूल जाओ।
और ऐसा करते समय अपनी पूरी
आत्मा उसमे डाल दो और बाकी
सब कुछ भूल जाओ।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 54]
कुछ मत पूछो बदले में कुछ मत मांगो
जो देना है वो दो
वो तुम तक वापस आएगा पर
उसके बारे में अभी मत सोचो।
जो देना है वो दो
वो तुम तक वापस आएगा पर
उसके बारे में अभी मत सोचो।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 55]
जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते
हो , तुम कमजोर हो जाओगे ; अगर खुद को ताकतवर सोचते हो तुम ताकतवर हो जाओगे
हो , तुम कमजोर हो जाओगे ; अगर खुद को ताकतवर सोचते हो तुम ताकतवर हो जाओगे
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 56]
मनुष्य की सेवा करो। भगवान की सेवा करो।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 57]
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं ; चमक उठती हैं।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 58]
आकांक्षा , अज्ञानता , और असमानता
– यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं।
– यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 59]
यह भगवान से प्रेम का बंधन वास्तव में ऐसा है
जो आत्मा को बांधता नहीं है बल्कि प्रभावी ढंग से
उसके सारे बंधन तोड़ देता है।
जो आत्मा को बांधता नहीं है बल्कि प्रभावी ढंग से
उसके सारे बंधन तोड़ देता है।
[युवाओं के लिए स्वामी विवेकानन्द के कथन 60]
कुछ सच्चे , इमानदार और उर्जावान पुरुष और महिलाएं ;
जितना कोई भीड़ एक सदी में कर सकती है
उससे अधिक एक वर्ष में कर सकते हैं।
जितना कोई भीड़ एक सदी में कर सकती है
उससे अधिक एक वर्ष में कर सकते हैं।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 61]
जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो ,
तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर
वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर
वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 62]
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 63]
धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों
की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं।
की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 64]
''श्री रामकृष्ण कहा करते थे जब तक मैं जीवित हूँ
तब तक मैं सीखता हूँ वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास
सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है''
तब तक मैं सीखता हूँ वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास
सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है''
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 65]
जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं है
बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।
बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 66]
कामनाएं समुद्र की भांति अतृप्त है,
पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है।
पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 67]
स्त्रियो की स्थिति में सुधार न होने
तक विश्व के कल्याण का कोई भी मार्ग नहीं है।
तक विश्व के कल्याण का कोई भी मार्ग नहीं है।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 68]
भय ही पतन और पाप का मुख्य कारण है।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 69]
आज्ञा देने की क्षमता प्राप्त करने से
पहले प्रत्येक व्यक्ति को आज्ञा का
पालन करना सीखना चाहिए।
पहले प्रत्येक व्यक्ति को आज्ञा का
पालन करना सीखना चाहिए।
[Swami Vivekananda Thoughts in Hindi 70]
प्रसन्नता अनमोल खजाना है
छोटी -छोटी बातों पर उसे लूटने न दे।
छोटी -छोटी बातों पर उसे लूटने न दे।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 71 ]
जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।
ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है।
सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो।
मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है।
जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं,
सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं।
इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए
और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे,
मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो।
सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो।
मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है।
जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं,
सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं।
इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए
और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे,
मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 72 ]
§ ज्ञान स्वयमेव वर्तमान है,
मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 73 ]
§ मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है, एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है,
क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से
संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं–निश्चय ही मुक्ति की
अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही
हमारा चरम लक्ष्य है।
क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से
संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं–निश्चय ही मुक्ति की
अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही
हमारा चरम लक्ष्य है।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 74 ]
§ जो मनुष्य इसी जन्म में मुक्ति प्राप्त करना चाहता है,
उसे एक ही जन्म में हजारों वर्ष का काम करना पड़ेगा।
वह जिस युग में जन्मा है, उससे उसे बहुत आगे जाना पड़ेगा,
किन्तु साधारण लोग किसी तरह रेंगते-रेंगते ही आगे बढ़ सकते हैं।
उसे एक ही जन्म में हजारों वर्ष का काम करना पड़ेगा।
वह जिस युग में जन्मा है, उससे उसे बहुत आगे जाना पड़ेगा,
किन्तु साधारण लोग किसी तरह रेंगते-रेंगते ही आगे बढ़ सकते हैं।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 75 ]
§ जो महापुरुष प्रचार-कार्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं,
वे उन महापुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत अपूर्ण हैं,
जो मौन रहकर पवित्र जीवनयापन करते हैं और
श्रेष्ठ विचारों का चिन्तन करते हुए जगत् की सहायता करते हैं।
इन सभी महापुरुषों में एक के बाद दूसरे का आविर्भाव होता है
अंत में उनकी शक्ति का चरम फलस्वरूप ऐसा
कोई शक्तिसम्पन्न पुरुष आविर्भूत होता है,
जो जगत् को शिक्षा प्रदान करता है।
वे उन महापुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत अपूर्ण हैं,
जो मौन रहकर पवित्र जीवनयापन करते हैं और
श्रेष्ठ विचारों का चिन्तन करते हुए जगत् की सहायता करते हैं।
इन सभी महापुरुषों में एक के बाद दूसरे का आविर्भाव होता है
अंत में उनकी शक्ति का चरम फलस्वरूप ऐसा
कोई शक्तिसम्पन्न पुरुष आविर्भूत होता है,
जो जगत् को शिक्षा प्रदान करता है।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 76]
§ आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना
अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर
स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो।
अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर
स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 77 ]
§ मुक्ति-लाभ के अतिरिक्त और कौन सी उच्चावस्था का लाभ
किया जा सकता है? देवदूत कभी कोई बुरे कार्य नहीं करते,
इसलिए उन्हें कभी दंड भी प्राप्त नहीं होता,
अतएव वे मुक्त भी नहीं हो सकते।
सांसारिक धक्का ही हमें जगा देता है,
वही इस जगत्स्वप्न को भंग करने में सहायता पहुँचाता है।
इस प्रकार के लगातार आघात ही इस संसार से
छुटकारा पाने की अर्थात् मुक्ति-लाभ करने की हमारी
आकांक्षा को जाग्रत करते हैं।
किया जा सकता है? देवदूत कभी कोई बुरे कार्य नहीं करते,
इसलिए उन्हें कभी दंड भी प्राप्त नहीं होता,
अतएव वे मुक्त भी नहीं हो सकते।
सांसारिक धक्का ही हमें जगा देता है,
वही इस जगत्स्वप्न को भंग करने में सहायता पहुँचाता है।
इस प्रकार के लगातार आघात ही इस संसार से
छुटकारा पाने की अर्थात् मुक्ति-लाभ करने की हमारी
आकांक्षा को जाग्रत करते हैं।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 78 ]
§ हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है,
उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और
उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।
उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और
उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 79 ]
§ मन का विकास करो और उसका संयम करो,
उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो–
उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी।
यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो,
और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो।
ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा।
जो समस्त को प्राप्त करता है,
वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है।
उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो–
उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी।
यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो,
और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो।
ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा।
जो समस्त को प्राप्त करता है,
वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है।
[स्वामी विवेकानंद के ज्ञानमय विचार 80 ]
§ पहले स्वयं संपूर्ण मुक्तावस्था प्राप्त कर लो,
उसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो।
प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो।
उसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो।
प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो।
-81स्वामी विवेकानन्द
§ सभी मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे।
चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो,
जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ।
भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र,
चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल,
जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके।
चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो,
जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ।
भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र,
चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल,
जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके।
-82 स्वामी विवेकानन्द
§ संन्यास का अर्थ है, मृत्यु के प्रति प्रेम।
सांसारिक लोग जीवन से प्रेम करते हैं,
परन्तु संन्यासी के लिए प्रेम करने को मृत्यु है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आत्महत्या कर लें।
आत्महत्या करने वालों को तो कभी मृत्यु प्यारी नहीं होती है।
संन्यासी का धर्म है समस्त संसार के हित के लिए निरंतर आत्मत्याग
करते हुए धीरे-धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाना।
सांसारिक लोग जीवन से प्रेम करते हैं,
परन्तु संन्यासी के लिए प्रेम करने को मृत्यु है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आत्महत्या कर लें।
आत्महत्या करने वालों को तो कभी मृत्यु प्यारी नहीं होती है।
संन्यासी का धर्म है समस्त संसार के हित के लिए निरंतर आत्मत्याग
करते हुए धीरे-धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाना।
-83 स्वामी विवेकानन्द
§ हे सखे, तुम क्योँ रो रहे हो ? सब शक्ति तो तुम्हीं में हैं।
हे भगवन्, अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो।
ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं।
जड की कोई शक्ति नहीं प्रबल शक्ति आत्मा की हैं।
हे विद्वन! डरो मत्; तुम्हारा नाश नहीं हैं,
संसार-सागर से पार उतरने का उपाय हैं।
जिस पथ के अवलम्बन से यती लोग संसार-सागर के पार उतरे हैं,
वही श्रेष्ठ पथ मै तुम्हे दिखाता हूँ
हे भगवन्, अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो।
ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं।
जड की कोई शक्ति नहीं प्रबल शक्ति आत्मा की हैं।
हे विद्वन! डरो मत्; तुम्हारा नाश नहीं हैं,
संसार-सागर से पार उतरने का उपाय हैं।
जिस पथ के अवलम्बन से यती लोग संसार-सागर के पार उतरे हैं,
वही श्रेष्ठ पथ मै तुम्हे दिखाता हूँ
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किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह,
गिरो तो बीज की तरह।
ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको।
गिरो तो बीज की तरह।
ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको।
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