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Fog Quotes in Hindi || Fog Shayari || कोहरा शायरी

Fog Quotes in Hindi || Fog Shayari || कोहरा शायरी 

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कोहरा एक दृश्य एरोसोल है जिसमें पानी की छोटी बूंदें या बर्फ के क्रिस्टल होते हैं जो पृथ्वी की सतह पर या उसके पास हवा में लटके रहते हैं।[1] कोहरे को एक प्रकार का निचला बादल माना जा सकता है जो आमतौर पर स्ट्रेटस जैसा होता है, और यह आस-पास के पानी, स्थलाकृति और हवा की स्थिति से बहुत अधिक प्रभावित होता है। बदले में, कोहरा कई मानवीय गतिविधियों को प्रभावित करता है


Fog Quotes in Hindi


सुनो पर्दा-नशीं आज तो आ जाओ मिलने 
भला इस घने कोहरे में तुम्हें कौन देखेगा 



"फबता नहीं, ना ही सही
बरकरार रख, चुभता ही सही
कि ये सर्द लहज़ा धुन्ध हुई 
ज़िन्दगी को कुछ तो भिगो देगा"



"मौसम फिर शीत होने को है
देखते हैं कौन कोहरे में साथ निभाएगा
कौन चुपके से निकल जाएगा"


"यहाँ पास का भी कुछ नही दिख रहा
फिर भी कोई दूर बैठा मेरे लिए लिख रहा "


"कोहरे की धुंध अब खत्म हो चुकी है 
भीतर का शैतान अब साफ नज़र आने लगा 
मेरी बेटी तो कब का भूख से सो चुकी है।
कोई बस तस्वीर खींच कर दरवाजे से जाने लगा"


"तेरी हँसी में तेरी हंसी गम सी है
 सूरज तो निकला है मगर धुंध सी है"

"वो हवा हो गई
मैं धुआँ हो गया
मेरी ज़मीन का चाँद
न जाने कहाँ खो गया।"



"घना है कोहरा गाड़ी की तेज रफ़्तार है
खून में है जवानी खौलने की दरकार है
जहां जाना नहीं जल्दी वहां पहुँच जाओगे
ज़रा सोचो वापस
 घर पे किसी को इंतज़ार है।"



"तुम हो तो हो ना, क्यों ख्वाब 
बनना चाहते हो
खोना है मुझे
इन सर्द राहों में, कोहरे से इर्द 
गिर्द बिखर जाओ ना"

Fog Shayari


"आजकल तो सिर्फ फोग चल रहा है।
लोग नही।"



"महफ़िल सजी चाय
सिगरेट और शायरी से
किसी ने धुआ़ तो
किसी ने गंम उड़ाये"


"आज हमारे यहाँ सर्वप्रथम 
कुहरे की शुरुआत हुई
शीतलहर आरंभ या दिल्ली की
 वयार आयात हुई"



"कोहरे में इसी तरह घिरेंगे 
गर इंसानों के शहर
धूल झोंकने के इरादे शायद 
कहीं सुस्ता लेंगे"



"दिन भर का कोहरा कुछ सोच 
शायद रचता है ये खेल
दिन समझे रात और रात ख़ुद 
को समझ कर ले मेल।"


"सुनो साहिब़ आज तो चले आओ मिलने
भला इस घने कोह़रे में तुम्हे कौन देखेगा "



"इस कोहरे में धुंधली हो जाएंगी आखे
शायद नज़र ना आए कुछ
कब लापता हो जाओगे खुद से
शायद ख़बर ना आए कुछ"

कोहरा शायरी 


"देख कर कोहरे की चादर
शर्द रातें हुई हैं मेरी
इन ख़ुशनुमा फ़िज़ाओं से
कुछ बातें हुई हैं मेरी
एक पहर कोहरा तो
दो-पहर धूप ने थाम रखा है
हाँ 
हाँ इन्हीं लोगों ने मेरे दिल को
संभाल रखा है"


"कल रात के सर्द इश्क़ का 
असर कुछ गहरा रहा
इस सुबह पर कुहासे का 
घनघोर पहरा रहा।"



"हर कोई हम पर ज़ुल्म कर रहा है
ना पूछो कौन कैसे-कैसे सता रहा है
अब कुहरे को ही देखो बन कर दीवार
उनके इक झलक को भी हमें तरसा रहा है"


"मुलाकातों का सिलसिला 
कुछ यूँ शुरू हुआ
तुम रोज कुछ अपने से लगने लगे हो"



"Fog तो आज पडा है
वो तो कई रोज से धुँधले 
नजर आ रहे"