Rabindranath Tagore Quotes in Hindi || रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार

 Rabindranath Tagore Quotes in Hindi || रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार



1.अलसी और अधर्मी जीवन से मृत्यु बेहतर है।

2. प्रेम का स्वप्न आया और मेरे पास बैठ गया किंतु
 मैं नहीं जागा।मुझ अभागे की उस नींद को धिक्कार है।

3. बेडीयां बड़ी कड़ी है,
 किंतु मेरे हृदय को बड़ी व्यथा होती है;
 जब मैं उनको तोड़ने का यत्न करता हूं।

4. मैंने जिस चादर को ओढा है; वह मिट्टी और मृत्यु की चादर है।
 मैं उसे घृणा करता हूं तथापि प्रेम से उसे गले लगाता हूं।

5.  हमेशा आशा भरी है, मेरी सफलता बड़ी है, मेरी लज्जा गुप्त है
 और हृदय को दबाए देती है। 
तथापि जब मैं अपने कल्याण के लिए याचना करने आता हूं,
 तब मैं भय से कांप उठता हूं 
कि कहीं मेरी प्रार्थना स्वीकार ना हो जाए।

6. बंदी! मुझे यह 
तो बता कि तुझे किसने बांधा है।


7. रात्रि जैसे प्रकाश के लिए की गई प्रार्थना को अपने अंधकार में छुपा के रखती है,
 वैसे ही मेरी अचेतन आस्था में भी
 मेरे अंत:करण में यह पुकार उठती है।
 हे प्रभु! तेरी चाह है, मुझे केवल तेरी चाह है।

8. जब मेरा हृदय कठोर और शुष्क हो जाए, 
तो मेरे ऊपर करुणा की मणि बरसाईए।

9. पिता के क्रोध करने पर माता संतान की 
ओर सजल नैनों से देखती है,
वैसे ही करुणा रुपी मेघो को ऊपर से मुझ पर बरसने दो।

Rabindranath Tagore Quotes in Hindi || रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार

10. मैंने तुझसे कुछ नहीं मांगा, 
मैंने अपना नाम तुझे नहीं बताया।
 जब तू विदा हुआ तो मैं चुपचाप खड़ा रहा।

11. सावन का मेघ बिना बरसे हुए पानी के भार से नीचे झुक जाता है, 
वैसे ही मेरा सारा मन एक ही
 प्रणाम के करने में तेरे द्वार पर झुक जाता है।

12. जहां अनंत आकाश आत्मा की उड़ान के लिए फैला हुआ है,
 निर्मल उज्ज्वल मास का राज्य है। 
वहां ना दिन है, ना रात है, ना रूप है और ना रंग है, 
नहीं, वहां एक शब्द भी नहीं है।


13. यह तो आप अवश्य मानेंगे 
कि कोई भी व्यक्ति उस समय तक वास्तविक प्रसन्नता 
प्राप्त नहीं कर सकता। 
जब तक कि उसे अपने जन्मजात विचार और स्वभाविक 
योग्यताओं के प्रकट करने के लिए एक विस्तृत क्षेत्र ना हो।
 हिरण को आपने देखा है, 
वह अपने सींगों को वृक्षो से रगड़ कर आनंद प्राप्त करता है, 
नर्म और नाजुक केले के खम्भे से नहीं।

14. सृष्टि के आरंभ से ही नारी जाती अपने जंगली और कठोर स्वभाव 
से पुरुषों को जीतने के लिए विशेष ढंग सीखते चली आ रही है।

15. यह वही जीवन है, जो जीवन- मृत्यु रुपी समुंद्र के ज्वार भाटे
 के पालने में हिलोरे मारता है।

16. वही तो अंतरआत्मा है, जो मेरे जीवात्मा को अपने गंभीर 
अदृश्य स्पर्शो से जागृत करता है।

17.  स्त्री अपने सौंदर्य के बल पर पुरुष का प्रेम और आज्ञाकारिता
 प्राप्त करना चाहती है, 
किंतु जो पति स्वयं ही उनके सौंदर्य के सामने झुक जाए,
 वह वास्तव में दुर्भाग्यशाली होता है 
और उससे अधिक उसकी पत्नी।

18. कर्म किए जाओ। फल की कामना मत करो। 
तुम्हारा परिश्रम कभी अकारथ नहीं जाएगा।

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Rabindranath Tagore Quotes in Hindi || रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार

19. इंसानों की 
सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

20. केवल जीर्ण मंदिर का देवता, 
निरंतर उपेक्षा के कारण पूजा से वंचित रहता है।

21. जो वृक्ष पत्तों से लदा होता है, 
प्राय: फल से वंचित रहता है।

22.  तथ्य कई है, 
लेकिन सच एक ही।

23. खुश रहना सरल है 
लेकिन सरल होना मुश्किल है।

24. मैं जानता हूं 
कि वह दिन आएगा जब मुझे यह संसार देखने को नही मिलेगा
 और मैं चुपचाप यहां से छुट्टी लूंगा और
 मेरे नेत्रों पर अंतिम पर्दा पड़ जाएगा।
       तो भी रात्रि को तारे जगमगाएंगे, 
प्रभात का उदय होगा और घड़ियां सागर- तरंगों की भांति 
सुख-दुख को उत्पन्न करती हुई बीतती जाएंगी।

25. जब मैं यहां से विदा होऊं, तब मेरे अंतिम वचन ये हो कि, 
"मैंने जो कुछ देखा है, उससे बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता।"

26. अब जब खेल का समय बीत गया है 
तो सहसा एक विचित्र दृश्य मेरे सामने आता है। 
यह विश्व अपने सफल नीरव तरादल के साथ तेरे पद-कमलों में 
अपने नयन झुकाए चकित और निस्तब्ध खड़ा है।

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