Pranab Mukherjee Quotes in Hindi || प्रणब मुखर्जी के सुविचार

 Pranab Mukherjee Quotes in Hindi || प्रणब मुखर्जी के सुविचार




 हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है।
 यह शताब्दियों से हमारी सामूहिक चेतना का अंग रही है।


 जनसंवाद के विभिन्न पहलू हैं 
हम तर्क वितर्क कर सकते हैं। 
हम सहमत हो सकते हैं या हम सहमत नहीं हो सकते हैं
 परंतु हम विविध विचारों की
 आवश्यक मौजूदगी को नहीं नकार सकते
 अन्यथा हमारी विचार प्रक्रिया का मूल स्वरूप नष्ट हो जाएगा।

हमारी शिक्षा प्रणाली द्वारा रुकावटों को सामान्य घटना के
 रूप में स्वीकार करना चाहिए और 
विद्यार्थियों को रुकावटों से निपटने और आगे बढ़ने के
 लिए तैयार करना चाहिए।


 सहृदयता और सहानुभूति की 
क्षमता हमारी सभ्यता की सच्ची नीव है।

 हमारे विश्वविद्यालयों को रटकर याद करने
 वाला स्थान नहीं बल्कि जिज्ञासु 
व्यक्तियों का सभास्थल बनाया जाना चाहिए।



 प्रतिदिन हम अपने
 आसपास बढ़ती हुई हिंसा देखते हैं। 
इस हिंसा की जड़ में अज्ञानता,
भय और अविश्वास है।



खुशहाली मानव 
जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।



 सदियों के दौरान, 
विचारों को आत्मसात करके हमारे समाज 
का बहुलवाद निर्मित हुआ है।


खुशहाली समान रूप से आर्थिक और गैर आर्थिक 
मानदंडों परिणाम है। 
खुशहाली का लक्ष्य सतत विकास के उस लक्ष्य के
 साथ मजबूती से बधा हुआ है जो मानव बेहतरी, 
समाज मे समावेशन और पर्यावरणीय स्थिरता का मिश्रण है।


Pranab Mukherjee Quotes in Hindi || प्रणब मुखर्जी के सुविचार 



संस्कृति, पंथ और भाषा की
 विविधता में भारत को विशेष बनाती है।


शिक्षा एक ऐसा माध्यम है 
जो भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जा सकता है।
 शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति से समाज को 
पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है। 
इसके लिए हमें अपने उच्च 
संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा।


हमारे लिए समावेशी समाज का
 निर्माण विश्वास का एक विषय होना चाहिए।

हमें अपने जनसंवाद को शारीरिक और 
मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।

 एक अहिंसक समाज ही लोकतांत्रिक 
प्रक्रिया में लोगों के सभी वर्गों विशेषकर
 पिछड़ी और वंचितो की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है।


गरीबी मिटाने से खुशहाली में भरपूर
 तेजी आएगी।


हमें एक सहानुभूतिपूर्ण और 
जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए अहिंसा की 
शक्ति को पुनर्जागरत करना होगा।


 सुशासन से लोग पारदर्शिता, 
जवाबदेही और सहभागी राजनीतिक संस्थाओं के माध्यम 
से अपना जीवन सवार पाएंगे।

Pranab Mukherjee Quotes in Hindi || प्रणब मुखर्जी के सुविचार





 कभी कभी समझौता बुरा नहीं होता
कभी कभी पूर्ण सत्ता से समस्याएं पैदा होती है।
 एक पुरानी कहावत है कि "सत्ता भ्रष्ट करती है 
और पूर्ण सत्ता पूर्णतः भ्रष्ट करती है।"


जहां भी मेरी भाग्य ने मुझे पहुंचाया है
मैं उस ऊंचाई पर खुश हूं



 हम सभी को हर चीज
 की एक कीमत चुकानी होती है।



 विकास को वास्तविक बनाने के 
लिए देश के सबसे गरीब को यह महसूस होना चाहिए 
कि वह राष्ट्रीय गाथा का एक भाग है।



 जितना मैंने दिया है
 उससे कहीं अधिक मुझे इस देश के लोगों 
और संसद से मिला है।



 जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है 
उसके उपदेश देने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है 
परंतु मेरे पास देने के लिए कोई उपदेश नहीं है।



 पिताजी ने मुझे आत्म सम्मान का मूल्य सिखाते हुए
इसे बनाए रखने का महत्व समझाया था।



 पिछले 50 वर्षों के सार्वजनिक जीवन के दौरान भारत का 
संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है।



 हमें गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा 
और यह सुनिश्चित करना होगा 
कि हमारी नीतियों के फायदे पंक्ति में खड़े
 अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।


भारत की संसद मेरे  दिल मे रहा है 
और भारत की जनता की सेवा मेरा अभिलाषा रही है।


एक स्वस्थ, खुशहाल और सार्थक 
जीवन प्रत्येक नागरिक का बुनियादी अधिकार है।

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