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राजन सिंह की गावं मई एक छोटी सी दूकान थी , थोड़ा हिसाब -किताब करना जानता था |ईमानदारी से चार पैसा कमा कर अपने परिवार का भरण – पोसण करता था और खुश रहता था | पढ़ा – लिखा होने की वजह से  वह धनपत की काली करतूतो को जानता था | एक दिन सरपच के पास जाकर उसने धनपत साहूकार की शिकायत की , सरपंच खुद धनपत की बेईमानी का बराबर का हिसेदार था | उसने राजन सिंह की बात को अनसुना कर दिया | परेसान होकर राजन सिंह जिला मुख्या अधिकारी के पास जाने का फैसला किया |उसने उनके पास जाकर कहा श्रीमान – गावं का सरपंच और साहूकार मिलकर गावं वालो को लूट रहे है |वो दोनों दिन  पर दिन अमीर होते जा रहे है और गावं वाले गरीब होते जा रहे है , उनकी सारी कमाई सूद भरने मे ही खत्म हो जा रही है |


 जिला अधिकारी ने राजन की बातो को ध्यान से सुना , उसने अपने दो कर्मचारियों को धनपत साहूकार और सरपंच की चुप- चाप जांच – परताल करने के लिए भेज दिया | कर्मचारियों ने आकर बताया की राजन सिंह की बात सही है | जिला अधिकारी ने तुरंत दोनों की शिकायत पुलिस अधिकारी से की , दोनों को बंदी  बनाकर अदालत मे पेश किया गया |जज ने फैसला सुनाया की – धनपत साहूकार और सरपंच ने गावं वालो से जालबाजी की है और उनका पैसा वापिस करे 

जज के फैसले से राजन सिंह और और गावं वाले बहुत ही खुश थे , अब जिला अधिकारी ने आदेश दिया की हर गावं मे एक  बाल बिद्यालय खोला जाई और उसमे अच्छे टीचर राखी जाये |



यह सुनकर राजन सिंह हैरानी से पूछने लगा श्रीमान – अपराधियो को तो सजा मिल गयी अब बिद्याले ओपन करने से क्या लाभ होगा |जिला अधिकारी बोले – राजन सिंह गावं के लोग सीधे – साधे और बहुतलोग अनपढ़ है , धनपत और सरपंच को  सजा देने से समस्या मिट नहीं जाएगी | अनपढ गावं वालो को कोई भी ठग सकता है इसलिए सब  को पढ़ना जरुरी है |
 राजन सिंह यह सुनकर बहुत खुश हुआ और बोला आप ने तो बहुत दूर  तक सोच कर काम किया है | राजन सिंह भाउक हो गया और उसकी आँखों मे अंशु आ गया और बोला अब उसके गावं मे अज्ञानता और अन्धकार नही रहेगा ,एक नया सवेरा सारे गावं को खुशियो से भर देगा |


दोस्तों हमको इस कहानी से यही सीख मिलती है की पढ़ाई – लिखाई कभी बेकार नहीं जाती है | अगर आप को कहानी अच्छी लगी तो शेयर जरूर करे