मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना
हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता
गरीबी बन गई तश्हीर का सबब आमिर,
जिसे भी देखो हमारी मिसाल देता है।
हजारों दोस्त बन जाते है, जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में... जो रिश्ता ख़ास होता है........!!
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका
एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,
कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है
वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है
उसने यह सोचकर अलविदा कह दिया
गरीब लोग हैं, मुहब्बत के सिवा क्या देँगे
छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदा
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है
सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर,
परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर........!!
अमीरी का हिसाब तो दिल देख कर कीजिये साहेब,
वरना गरीबी तो कपड़ों से ही दिख जाती है........!!
वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है,
न वो सूरज निकलता है, न अपने दिन बदलते हैं।
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को
ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे
हजारों दोस्त बन जाते है, जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में, जो रिश्ता ख़ास होता है।
किस्मत को खराब बोलने वालों
कभी किसी गरीब के पास बैठकर पूछना जिंदगी क्या है
रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते हुये देखा मैंने,
सड़क किनारे वो भिखारी शहंशाह निकला
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है
अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है
दो वक़्त की रोटी कभी दो वक़्त के लाले ,
गरीब की तक़दीर में क्या बोसा ए मोहब्बत क्या आरज़ू ए निवाले